Pages

Thursday, September 16, 2010

कामरू नाग




माहूँनाग के बाद मंडी के दूसरे समर्थ देवता है- कामरू नाग। 
मुख्या रूप से इन्हें वर्षा का देवता माना जाता है।

पांगणा से कुछ ऊँचाईयाँ  पार  कर रुहाण्डा आता है। यहाँ से मंडी  सत्तर कि० मी० रह जाती है।  यहाँ वन विभाग का विश्राम गृह भी है। रुहाण्डा सेलगभग पांच कि० मी० दूर है- कामरू नाग मंदिर तथा झील। मंदिर छोटा-सा  है क्यूंकि देवता मंदिर निर्माण के पक्ष मे नही है।  लगभग नौ हजार फुट कि ऊँचाई पर स्तिथ यह स्थान ऊँचे देवदारों से घिरा मनोहारी स्थान है।  यहाँ गर्मियों के मौसम मे जाना आनन्ददायक है। 


कामरू नाग के विषय मे एक कथा प्रचलित है। महाभारत युद्ध की तैयारी  की सूचना यक्षराज  रत्नचन्द  को मिली और वह युद्ध के लिए निकल पड़ा।   रत्नचन्द एक शूरवीर योद्धा था।  उसके आने की सूचना पा कर श्री कृष्ण और अर्जुन ब्राहमण  वेश मे  उस  से मिलने चल पड़े।  उसे  अकेले  ही युद्ध मे जाते देख अर्जुन ने पूछा- कि आपके साथ सेना तो है नही- अकेले ही कैसे युद्ध करेगे इस पार रत्नचन्द ने कहा कि वह अकेला ही पूरी सेना के बराबर है।  श्री कृष्ण ने उसकी शक्ति परीक्षा करनी चाही।  रास्ते मे  एक पीपल का पेड़ था।  यक्षराज ने अपनी शक्ति दिखाने के लिए पीपल के पत्तो को निशाना साध कर तीर चलाया।  पीपल का एक-एक पत्ता बिंध गया।  यहाँ तक कि जो पत्ता श्री कृष्ण ने चालाकी से अपने पाँव  के नीचे दबा रखा था।  वह भी बिंध गया।     ब्राहमण रूपधारी श्री कृष्ण ने दान मे योद्धा रत्नचन्द का सिर मांग लिया।   रत्नचन्द ने अपना  सिर काट कर उन्हें दे दिया  साथ ही युद्ध देखने कि इच्छा  व्यक्त की। श्री कृष्ण ने एक ऊँचा बांस गाड़ कर उसका  सिर टांग दिया युद्ध की समाप्ति पर यक्ष ने अपना सिर किसी  एकांत पर रखने का आग्रह किया।  पांड्वो ने कामरू नाग के स्थान पर उस योद्धा का सिर प्रतिष्ठित कर दिया।  कामरू नाग मे लोहड़ी को पूजा होती है।  आषाड़  की सक्रांति को मेला जुटता है।  जिसे सरनाहुली कहते है।  चढ़ावे  के रूप मे श्रद्धालुओं द्वारा दी सामग्री झील मे फेंकी जाती है।  सोना,चांदी,रुपये सब झील मे गिराए जाते  है ना जाने सदियों से कितना सोना चांदी इस झील के गर्भ मे छिपा पड़ा है। 

RELATED POSTS



0 comments on "कामरू नाग"

Add your comment. Please don't spam!
Subscribe in a Reader

Post a Comment

 

RJV | Copyright © 2009 | Original Design By Deluxe Themes | Converted To Blogger By Technolizard [ POWERED BY : BLOGGER ] [ ENRICHED BY : आधारशिला ]